वृंदावन: 54 साल बाद बांके बिहारी का खजाना खुला, खाली बक्से और तीन कलश मिले *DQPL* #6
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन का 160 साल पुराना खजाना शनिवार, 18 अक्तूबर को 54 वर्ष बाद खोला गया। अभी तक खोज में दो बक्से, तीन कलश और एक चांदी का छत्र मिला है, जबकि लकड़ी के बक्से से ज्वेलरी के खाली डिब्बे और 1970 का एक पत्र भी प्राप्त हुआ।
चलिए समझते हैं पूरा घटनाक्रम
वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के तहखाने में रखे खजाने को आज, धनतेरस के दिन खोला गया। इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक उच्च-शक्ति समिति का गठन किया गया था, जिसमें सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन, सीओ सदर संदीप सिंह और चारों गोस्वामी शामिल थे। मथुरा के एडीएम पंकज वर्मा ने इसकी पुष्टि की।
खजाने तक पहुँचने में आई चुनौतियाँ
खजाने के कमरे तक पहुंचने के लिए ग्राइंडर की मदद से दरवाजा काटना पड़ा। कमेटी के सदस्यों ने मास्क पहनकर अंदर प्रवेश किया। कमेटी सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि अंदर बहुत अधिक धूल और मलबा था, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। साथ ही, सांप-बिच्छू की आशंका के मद्देनजर वन विभाग की टीम भी स्नेक कैचर लेकर मौजूद थी और दो सांप के बच्चे भी मिले।
मिली ये चीज़ें और जताई गईं प्रतिक्रियाएं
अब तक की खोज में एक लोहे का बक्सा, एक लकड़ी का बक्सा और तीन कलश बरामद हुए हैं। लकड़ी के बक्से में ज्वेलरी के खाली डिब्बे, 4-5 ताले और 2 फरवरी, 1970 का लिखा एक पत्र मिला। वहीं, कुछ गोस्वामियों ने इस प्रक्रिया पर नाराजगी जताई। अनंत गोस्वामी ने कहा कि उन्हें पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया और प्रक्रिया लाइव नहीं दिखाई गई। मनोज गोस्वामी ने मंदिर की मर्यादा का हवाला देते हुए विरोध जताया।
आगे क्या रही तैयारियाँ?
इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए स्वास्थ्य, अग्निशमन और वन विभाग की टीमें पहले से मौजूद थीं। खजाना खोलने का अंतिम आदेश 17 अक्टूबर को कमेटी के सचिव और डीएम चंद्र प्रकाश सिंह ने जारी किया था, जबकि यह निर्णय 29 सितंबर को लिया गया था। पहले दिन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद खोज जारी है।
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