सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण मामलों में लापरवाह ग्राम प्रधानों पर हाईकोर्ट की सख्ती, पद से हटाने के आदेश #18 *AW*

हाईकोर्ट प्रयागराज ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि ग्राम पंचायत क्षेत्र में सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा होने और ग्राम प्रधान द्वारा शिकायत न किए जाने की स्थिति में उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। कोर्ट ने ऐसे प्रधानों को पद से हटाने का निर्देश दिया है। ग्राम पंचायत चुनावों से पहले इस आदेश ने एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है।


चलिए समझते हैं पूरा घटनाक्रम

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जे के मामलों में ग्राम प्रधानों की जिम्मेदारी तय करते हुए एक सख्त फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी ग्राम पंचायत की सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण होता है और ग्राम प्रधान इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराते या कार्रवाई नहीं करते हैं, तो उन्हें इसकी जवाबदेही स्वीकारनी होगी।

आगे क्या होगी कार्रवाई?

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब ग्राम प्रधानों के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा कि उनकी पंचायत सीमा में किसी भी सरकारी या सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा न हो। कोर्ट ने लापरवाही बरतने वाले प्रधानों को पद से हटाने का निर्देश जारी किया है। इस निर्णय को ग्राम पंचायत स्तर पर भूमि कब्जा रोकने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

प्रशासनिक जवाबदेही तय होगी

ग्रामीण क्षेत्रों में लंबे समय से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर आ रही शिकायतों के मद्देनजर यह आदेश महत्वपूर्ण है। इससे न केवल प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित होगी, बल्कि जनप्रतिनिधियों की सीधी जिम्मेदारी भी तय हो गई है। ग्राम पंचायत चुनावों से पहले इस आदेश ने एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है।

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