अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा की तैयारियां अंतिम चरण में, लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा *SERO* #19
अयोध्या में 30 अक्टूबर, गुरुवार की भोर से 14 कोसी परिक्रमा का पावन आयोजन होगा। इस धार्मिक महाकुंभ में देश भर से बीस लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। भक्त सरयू नदी में स्नान कर और नागेश्वरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं। प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।
पवित्र नगरी में उत्सव का माहौल
अयोध्या नगरी इन दिनों एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी के पावन अवसर पर होने वाली ऐतिहासिक 14 कोसी परिक्रमा के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। शहर के मुख्य मार्गों, विशेषकर रामपथ पर, भक्तों का तांता लगा हुआ है, जो 'जय सियाराम' और 'जय सरयू मैया' के जयघोष के साथ पवित्र सरयू नदी में डुबकी लगा रहे हैं। इसके बाद भक्त नागेश्वरनाथ महादेव के दर्शन और अभिषेक कर अपने आध्यात्मिक सफर की शुरुआत कर रहे हैं। मान्यता है कि इस विशेष दिन अयोध्या में किया गया कोई भी पुण्य कर्म अक्षय, यानी कभी नष्ट नहीं होता।
प्रशासन की जबरदस्त तैयारी
लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने एक विस्तृत और बहु-स्तरीय योजना तैयार की है। पूरे परिक्रमा क्षेत्र को प्रबंधन की सुविधा के लिए पांच जोन और बत्तीस सेक्टरों में बांटा गया है। इन क्षेत्रों की निगरानी के लिए अस्सी से अधिक मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गई है। राम की पैड़ी पर एक विशेष नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जहां से वरिष्ठ अधिकारी हर पल की गतिविधि पर नजर रखेंगे और आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं
भक्तों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में अस्थायी कैंप लगाए गए हैं। भीड़ में बिछड़े लोगों के लिए परिक्रमा मार्ग पर पांच प्रमुख स्थानों पर 'खोया-पाया केंद्र' स्थापित किए गए हैं, जो चौबीसों घंटे काम करेंगे। रेलवे प्रशासन को भी सतर्क कर दिया गया है ताकि रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेनें अतिरिक्त सावधानी बरतें। किसी भी प्रकार की सहायता के लिए श्रद्धालु विशेष हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। यह व्यवस्था इस बात का प्रमाण है कि आस्था और प्रशासनिक सुविधा कैसे साथ-साथ चल सकती हैं।
इस पावन परिक्रमा का समापन 31 अक्टूबर, शुक्रवार की भोर तक होगा, जबकि पंचकोसी परिक्रमा का आयोजन एक नवंबर, शनिवार से शुरू होगा। अयोध्या में यह आयोजन न सिर्फ आस्था का, बल्कि शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित सामूहिक उत्सव का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
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