अयोध्या : सीएमओ पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप, अस्पतालों की सील खोलने से लेकर ट्रांसफर तक में 'रेट' तय #8 *IOW*

सारांश: 

अयोध्या के अश्वनी कुमार ने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजकर सीएमओ पर गंभीर आरोप लगाए। आरोप हैं कि छोटी कमी पर निजी अस्पताल सील कर पांच-दस लाख रुपए वसूले जाते हैं, ट्रांसफर रोकने व अवकाश स्वीकृत करने तक के अलग 'रेट' तय हैं। ट्रांसफर और छुट्टियों तक में 'रिश्वत' का आरोप - फिलहाल संपर्क की कोशिश के बाद भी इस विषय में सीएमओ की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।


चलिए जानते हैं पूरा मामला

अयोध्या। स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ बहुत गंभीर आरोप सामने आए हैं। शहर के जनौरा इलाके के एक निवासी ने सीधे मुख्यमंत्री को शिकायत भेजकर जिले के चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) कार्यालय पर भ्रष्टाचार के कई बड़े दावे किए हैं। शिकायतकर्ता अश्वनी कुमार का आरोप है कि विभाग में पैसे लेकर काम कराने का एक सिस्टम बना हुआ है।

क्या हैं मुख्य आरोप?

शिकायत में लगभग 25 बिंदु शामिल हैं। सबसे बड़ा आरोप निजी अस्पतालों और क्लीनिकों को लेकर है। अश्वनी कुमार के मुताबिक, सीएमओ की टीम जानबूझकर निजी अस्पतालों का निरीक्षण करती है और मामूली कमियां निकालकर तुरंत उन्हें सील कर देती है। फिर उस अस्पताल को खोलने के लिए पांच से लेकर दस लाख रुपए तक की मोटी रकम वसूली जाती है। पैसा मिलने के बाद ही सील हटाई जाती है।

ट्रांसफर और छुट्टियों तक में 'रिश्वत' का आरोप

सिर्फ अस्पताल सील करना ही नहीं, बल्कि विभाग के अंदर के कामकाज में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। शिकायत में कहा गया है कि अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला रोकने के लिए भी एक लाख से पांच लाख रुपए तक की रकम ली जाती है। यही नहीं, एक दिन की छुट्टी स्वीकार करवाने का भी एक 'रेट' तय है। आरोप है कि कर्मचारियों की एक दिन की छुट्टी मंजूर कराने के लिए भी दो सौ रुपए लिए जाते हैं।

वरिष्ठ अधिकारियों को हटाया, जूनियर बने इंचार्ज

एक और गंभीर आरोप यह लगाया गया है कि विभाग में जानबूझकर वरिष्ठ अधिकारियों को हटाकर जूनियर अधिकारियों को इंचार्ज बना दिया गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि इसका मकसद जूनियर अधिकारियों के जरिए भ्रष्टाचार के इस चक्र को आसानी से चलाना है।

अब आगे क्या?

इन सभी गंभीर आरोपों को लेकर शिकायतकर्ता अश्वनी कुमार ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने और इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है। अभी तक इन आरोपों पर स्वास्थ्य विभाग或 सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पूरा मामला अभी जांच के इंतजार में है।

टिप्पणियाँ

  1. Handicap ka certificate ke ley bhi ghus mang rahe he vaha bathe log kya kya batya jaye jin logo ne handicap ko bhi nhi chora he

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