अयोध्या के 'राजा' विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का 71 साल की उम्र में निधन, राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य थे *WTYU* # 21

अयोध्या के 'राजा' विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का 71 साल की उम्र में निधन, राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य थे


सारांश: अयोध्या के 'राजा' विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र (71) का शनिवार रात निधन हो गया। वे श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य व BP के मरीज थे। बेटे यतींद्र मिश्र ने रविवार को बैकुंठ धाम में मुखाग्नि दी। मंत्री सूर्य प्रताप शाही, चंपत राय समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।


चलिए जानते हैं पूरा मामला

अयोध्या के सर्वाधिक प्रतिष्ठित और 'राजा' के नाम से मशहूर विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र (पप्पू भैया) का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से BP (ब्लड प्रेशर) के मरीज थे। शनिवार की रात करीब 12 बजे उन्होंने अयोध्या स्थित अपने आवास 'राज सदन' पर अंतिम सांस ली। विमलेंद्र मोहन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक महत्वपूर्ण सदस्य भी थे।

कौन थे विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र?

विमलेंद्र मोहन अयोध्या की प्रसिद्ध राजा दर्शन सिंह वंशावली से ताल्लुक रखते थे। उनकी माता का नाम महारानी विमला देवी और पिता का नाम डॉ. रमेंद्र मोहन मिश्र था। वंश में कई पीढ़ियों बाद जन्मे पहले पुरुष उत्तराधिकारी होने के कारण उनके बचपन का जीवन अत्यंत सुरक्षा घेरे में बीता। 14 साल की उम्र तक उन्हें दूसरे बच्चों के साथ खेलने की भी इजाजत नहीं थी और उन्हें बाहर पढ़ने के बजाय स्थानीय स्कूल में ही दाखिला दिलाया गया। बड़े होने पर परिवार की जिम्मेदारी उन्हें मिली और लोग उन्हें 'अयोध्या का राजा' कहने लगे।

परिवार और व्यक्तिगत जीवन

विमलेंद्र मोहन की पत्नी ज्योत्स्ना मिश्र का पिछले साल 2024 में निधन हो चुका है। उनके एक बेटे यतींद्र मोहन मिश्र हैं, जो एक प्रख्यात संगीतकार और राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकार हैं। यतींद्र ने लता मंगेशकर पर 'लता सुर गाथा' नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक भी लिखी है, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। उनकी एक बेटी मंजरी मिश्रा भी हैं।

राम मंदिर आंदोलन में थी अहम भूमिका

विमलेंद्र मोहन शुरू से ही राम मंदिर आंदोलन से गहराई से जुड़े रहे। रामघाट स्थित न्यास कार्यशाला, जहां मंदिर के लिए पत्थरों की तराशी हुई, वह जमीन उन्हीं की थी जिसे बाद में उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट को दान कर दिया। 1992 में विवादित ढांचा गिरने के बाद उन्होंने रामलला के लिए एक चांदी का सिंहासन दान दिया था। बाद में, 5 फरवरी 2020 को भूमि पूजन के मौके पर उन्होंने रामलला और उनके तीनों भाइयों के लिए एक और भव्य चांदी का सिंहासन ट्रस्ट को भेंट किया। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय में भी उन्होंने अयोध्या के वरिष्ठ संतों के साथ विवाद का समाधान निकालने का प्रयास किया था।

सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद जब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सबसे पहले चुने गए वरिष्ठ सदस्यों में उनका नाम शामिल था। ट्रस्ट को औपचारिक रूप से चार्ज सौंपने वाले वह पहले व्यक्ति भी थे।

राजनीति में था सफ़र

विमलेंद्र मोहन ने साल 2009 में बसपा के टिकट पर फैजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था, हालांकि उन्हें कांग्रेस के निर्मल खत्री से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। उनकी मां विमला देवी चाहती थीं कि वह राजनीति के बजाय पारिवारिक और सांस्कृतिक दायित्वों पर ध्यान दें।

अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

रविवार शाम 4 बजे उनके पार्थिव शरीर को उनके आवास से बैकुंठ धाम ले जाया गया, जहां पूरे राजकीय सम्मान और विधि-विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे यतींद्र मोहन मिश्र ने मुखाग्नि दी। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री सूर्य प्रताप शाही, यूपी सरकार के मंत्री सतीश शर्मा, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, अयोध्या के सांसद अवधेश दास, पूर्व सांसद लल्लू सिंह और राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

गणमान्य लोगों ने दी श्रद्धांजलि

सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने उन्हें 'दिल के राजा' बताते हुए कहा कि उनके निधन से मन बेहद दुखी है। दूसरी तरफ, बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी अल्लाह से उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ मांगी। उनके निधन से अयोध्या की जनता और सामाजिक-सांस्कृतिक जगत में एक शून्य पैदा हो गया है।

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