मनरेगा में उपस्थिति जांच के लिए त्रिस्तरीय निगरानी व्यवस्था शुरू #5 *OWE*
सारांश: केंद्र सरकार के निर्देश पर ग्राम्य विकास विभाग ने मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति में गड़बड़ी रोकने के लिए त्रिस्तरीय निगरानी व्यवस्था लागू की है। ग्राम रोजगार सेवक और पंचायत सचिव 100% उपस्थिति सत्यापित करेंगे, ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम अधिकारी 200 या 20% तस्वीरें जांचेंगे, जबकि जिला समन्वयक 30 तस्वीरों की रैंडम जांच करेगा। स्थायी कर्मी 100 और संविदा कर्मी 200 तस्वीरें सत्यापित करेंगे।
चलिए समझते हैं पूरा नया सिस्टम
केंद्र सरकार ने मनरेगा में श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज करने में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। ग्राम्य विकास विभाग ने नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए त्रिस्तरीय निगरानी व्यवस्था शुरू की है। इसके तहत अब जिला और विकास खंड स्तर पर नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) के जरिए निगरानी प्रकोष्ठ गठित किए गए हैं।
ग्राम स्तर पर कैसे होगी जांच?
इस व्यवस्था के पहले चरण में ग्राम रोजगार सेवक और पंचायत सचिव को रोजाना अपलोड की गई सभी तस्वीरों का 100% सत्यापन करना होगा। यानी हर श्रमिक की दैनिक उपस्थिति की पुष्टि करनी होगी। इससे गांव स्तर पर पारदर्शिता बनी रहेगी।
ब्लॉक स्तर पर क्या होगा जिम्मेदारी?
ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम अधिकारी को रोजाना कम से कम 200 तस्वीरों या कुल अपलोड की गई तस्वीरों का 20% (जो भी अधिक हो) जांचना अनिवार्य होगा। यह जांच रैंडम आधार पर की जाएगी ताकि किसी तरह की लापरवाही न हो सके।
जिला स्तर पर कैसे चलेगी निगरानी?
जिला समन्वयक हर रोज 30 तस्वीरों की रैंडम जांच करेगा। इसके अलावा, स्थायी कर्मचारियों को 100 तस्वीरें और संविदा कर्मियों को 200 तस्वीरें सत्यापित करने की जिम्मेदारी दी गई है। सभी स्तरों पर जांच रैंडम होगी और रिपोर्टिंग अनिवार्य रखी गई है।
डिजिटल निगरानी से क्या बदलाव आएगा?
इस त्रिस्तरीय व्यवस्था से मनरेगा में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है। डिजिटल निगरानी के जरिए उपस्थिति रिकॉर्ड में हेराफेरी रोकने में मदद मिलेगी, जिससे सरकारी धन का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होगा। सरकार का लक्ष्य है कि मनरेगा श्रमिकों को उनका हक बिना किसी गड़बड़ी के मिले।
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