अयोध्या : 44 हजार मीट्रिक टन यूरिया वितरित, किसानों से संतुलित उपयोग की अपील #3 *DGR*
सारांश:
अयोध्या में खरीफ 2025 के लिए अब तक 43,995 MT यूरिया वितरित। 21 से 23 अगस्त तक सलारपुर रैक से 3500 MT अतिरिक्त यूरिया भेजा जा रहा। किसानों से जोत अनुसार खाद खरीदने एवं अति प्रयोग न करने की अपील। डपिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी।
चलिए जानते हैं पूरी खबर विस्तार से
अयोध्या जनपद में चालू खरीफ सीजन के दौरान किसानों को उर्वरक की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। अभी तक जिले की सहकारी समितियों, निजी उर्वरक दुकानों, एग्रीजंक्शन और इफको जैसे चैनलों के माध्यम से कुल 43,995 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है।
लगातार मिल रही है नई खेप
यूरिया की उपलब्धता बनाए रखने के लिए लगातार नई खेप भी जिले में पहुंच रही है। 21 अगस्त को 1500 मीट्रिक टन कृभको (KRIBHCO) यूरिया सलारपुर स्थित रेलवे रैक प्वाइंट से सीधे तौर पर सहकारी समितियों और निजी विक्रेताओं को भेजा गया। इसी कड़ी में 22 अगस्त को 1300 मीट्रिक टन इफको (IFFCO) यूरिया सलारपुर रैक से एग्रीजंक्शन और इफको के अपने केंद्रों पर भेजा जा रहा है। जबकि 23 अगस्त को 700 मीट्रिक टन यूरिया की एक और खेप सलारपुर रैक में लगनी है, जिसे जल्द ही वितरण के लिए भेज दिया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि जिले में खाद की पूरी तरह से पर्याप्त उपलब्धता है।
किसान भाइयों के नाम महत्वपूर्ण सुझाव
प्रशासन की ओर से किसानों से अनुरोध किया गया है कि वे धैर्य और अनुशासन बरतें और अपनी जोत के अनुसार ही यूरिया खरीदें। साथ ही, यूरिया का इस्तेमाल संतुलित मात्रा में ही करें। मिट्टी की उर्वरता और बेहतर पैदावार के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों को सही अनुपात में डालना जरूरी है।
अधिक यूरिया के नुकसान
अधिक मात्रा में यूरिया के प्रयोग से भूमि बंजर हो सकती है और मृदा स्वास्थ्य खराब होने का मानव जीवन पर भी बुरा असर पड़ सकता है। एक एकड़ में टॉप ड्रेसिंग के लिए सिर्फ एक बोरी यूरिया का ही प्रयोग करने की सलाह दी गई है। नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए किसान गोबर की खाद, हरी खाद (जैसे ढैंचा, सनई, उड़द, मूंग), जीवामृत, धनजीवामृत और बीजामृत जैसे जैविक विकल्पों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
डपिंग पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी
अधिकारियों ने एक चिंताजनक प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ किसान अधिक मात्रा में यूरिया खरीदकर उसकी डपिंग (जमाखोरी/कालाबाजारी) कर रहे हैं। ऐसा पाए जाने पर न केवल उस दुकानदार का लाइसेंस तत्काल निलंबित किया जाएगा, बल्कि ऐसे किसान के खिलाफ भी पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। संतुलित उर्वरक के इस्तेमाल से ही मिट्टी की उर्वरता और पानी रोकने की क्षमता बढ़ेगी और पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी कम होगा।
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