लोकसभा में हंगामा: गंभीर अपराध में 30 दिन हिरासत पर PM-मंत्री हटेंगे, शाह के 3 बिलों पर विपक्ष का विरोध #15 *OPW*
[सारांश:]
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 3 बिल पेश किए, जिनमें गंभीर अपराध में 30 दिन हिरासत पर PM, CM या मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है। अरविंद केजरीवाल 6 महीने जेल में रहे, फिर इस्तीफा दिया। विपक्ष ने विरोध किया, बिल JPC को भेजने की मांग। केंद्र सरकार का दावा है कि ये बिल लोकतंत्र को मजबूत करेंगे और जनता का भरोसा बढ़ाएंगे।
नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025: केंद्र सरकार ने गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने के लिए नया कानून बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनका उद्देश्य लोकतंत्र और सुशासन को मजबूत करना है। इन बिलों के खिलाफ विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और इन्हें वापस लेने की मांग की। कांग्रेस, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी (सपा) ने बिलों को संविधान और न्याय विरोधी बताया। गृह मंत्री ने जवाब में बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की बात कही।
बिलों का मकसद क्या है?
केंद्र सरकार का कहना है कि मौजूदा कानूनों में संवैधानिक पदों पर बैठे नेताओं को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होने पर हटाने की स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। नए बिलों में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री ऐसे अपराध में गिरफ्तार होता है, जिसमें कम से कम 5 साल की सजा हो सकती है, और उसे लगातार 30 दिन तक हिरासत में रखा जाता है, तो 31वें दिन उसे पद से हटा दिया जाएगा।
कौन-कौन से हैं ये तीन बिल?
केंद्र सरकार ने तीन विधेयकों को पेश किया है, जो निम्नलिखित हैं:
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गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025
यह बिल केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा। वर्तमान में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 में गंभीर अपराधों में गिरफ्तार मुख्यमंत्री या मंत्रियों को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इस बिल के जरिए धारा 45 में संशोधन कर ऐसा कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा। -
130वां संविधान संशोधन बिल 2025
इस बिल का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन करना है। यह प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों और दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रियों को गंभीर अपराधों में गिरफ्तारी और हिरासत के बाद हटाने का प्रावधान बनाएगा। -
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन के जरिए गंभीर अपराधों में गिरफ्तार मुख्यमंत्री या मंत्रियों को 30 दिन की हिरासत के बाद हटाने की व्यवस्था होगी।
क्यों जरूरी है यह कानून?
केंद्र सरकार का कहना है कि ये बिल लोकतंत्र और सुशासन की साख को मजबूत करेंगे। मौजूदा कानूनों में केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता है, लेकिन गिरफ्तारी और हिरासत के मामलों में कोई स्पष्ट नियम नहीं है। इस कमी के कारण कई बार कानूनी और सियासी विवाद हुए हैं।
उदाहरण: केजरीवाल और सेंथिल बालाजी के मामले
- अरविंद केजरीवाल: दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था। वह 6 महीने तक हिरासत और जेल में रहे, लेकिन उन्होंने पद से इस्तीफा नहीं दिया। जमानत मिलने के बाद ही उन्होंने इस्तीफा दिया। वह गिरफ्तारी के समय पद पर बने रहने वाले पहले मुख्यमंत्री थे।
- वी. सेंथिल बालाजी: तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED ने गिरफ्तार किया। वह 241 दिन तक जेल में रहे, फिर भी मंत्री बने रहे। उनकी गिरफ्तारी से पहले वह बिजली, आबकारी और मद्य निषेध विभाग संभाल रहे थे। गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने उन्हें “बिना विभाग वाला मंत्री” बनाए रखा और उनके विभाग अन्य मंत्रियों को सौंप दिए।
विपक्ष का विरोध और हंगामा
लोकसभा में बिल पेश होने के दौरान विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस ने बिलों को संविधान विरोधी करार दिया। सपा ने इन्हें न्याय के खिलाफ बताया। विपक्षी सांसदों ने कागज फेंके और बिलों को वापस लेने की मांग की। गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब में कहा कि बिलों को JPC के पास भेजा जा सकता है, ताकि इस पर और चर्चा हो सके।
ऑनलाइन गेमिंग पर भी बिल
इसी दिन केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला एक और बिल पेश किया। 19 अगस्त को कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी। इसमें ऑनलाइन मनी गेमिंग, विज्ञापन और खेल को बढ़ावा देने वालों के लिए तीन साल की सजा, 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आगे क्या होगा?
केंद्र सरकार का दावा है कि ये बिल लोकतंत्र को मजबूत करेंगे और जनता का भरोसा बढ़ाएंगे। हालांकि, विपक्ष का विरोध और हंगामा इस मुद्दे को और गर्माने का संकेत दे रहा है। बिलों को JPC के पास भेजे जाने की संभावना है, जहां इन पर विस्तृत चर्चा होगी।
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