वकीलों पर प्रॉपर्टी डीलिंग में रोक: इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश vakeel
[सारांश:]
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों को संपत्ति सौदों में खरीद-फरोख्त या दलाली के काम करने से रोका। बार काउंसिल नियमों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा, कि वकालत एक सम्मानित पेशा है और वकीलों को इसकी गरिमा बनाए रखनी होगी। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, "वकीलों को सिर्फ कानून की बात करनी चाहिए, प्रॉपर्टी डीलिंग में क्या काम?" वहीं, कुछ ने कहा आदेश वकीलों की आजीविका पर असर डाल सकता है, खासकर उन लोगों पर जो छोटे स्तर पर संपत्ति से जुड़े वैध काम करते हैं।
इलाहाबाद: वकीलों के लिए नया नियम
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में वकीलों को संपत्ति खरीद-फरोख्त या दलाली के काम से दूर रहने का आदेश दिया है। यह फैसला 30 जून 2025 को सुनाया गया, जिसमें कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों का सख्ती से पालन करने की बात कही। कोर्ट का कहना है कि वकालत एक सम्मानित पेशा है और वकीलों को इसकी गरिमा बनाए रखनी होगी।
क्या है पूरा मामला?
यह आदेश एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ वकील वकालत के साथ-साथ संपत्ति के सौदों में दलाल की भूमिका निभा रहे हैं। याचिका में दावा किया गया कि ऐसे वकील अपने पेशे की आड़ में संपत्ति खरीद-बिक्री में अनुचित लाभ कमा रहे हैं, जो बार काउंसिल नियमों का उल्लंघन है। कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि वकील का काम कानूनी सलाह देना और मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करना है, न कि संपत्ति के सौदों में शामिल होना।
बार काउंसिल नियम क्या कहते हैं?
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के अनुसार, वकील किसी भी ऐसे व्यवसाय या गतिविधि में शामिल नहीं हो सकते, जो वकालत के पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाए। कोर्ट ने इस नियम का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि संपत्ति सौदों में दलाली या मध्यस्थता करना इस पेशे के लिए अनुचित है। कोर्ट ने सभी वकीलों को चेतावनी दी कि वे अपने पेशे के मूल्यों का पालन करें, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
कोर्ट का आदेश और उसका प्रभाव
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न केवल वकीलों को संपत्ति सौदों से दूर रहने का आदेश दिया, बल्कि बार काउंसिल और संबंधित अधिकारियों को भी निर्देश दिया कि वे इस नियम का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा कि वकीलों को अपने पेशे की मर्यादा बनाए रखनी होगी और किसी भी तरह की दलाली या गैर-कानूनी गतिविधियों से बचना होगा। इस फैसले से उत्तर प्रदेश में वकीलों के बीच हलचल मच गई है, और कई लोग इसे पेशे की शुचिता को बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं।
क्या कह रहे हैं लोग?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने कोर्ट के इस कदम की सराहना की और इसे वकालत पेशे को और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम बताया। एक यूजर ने लिखा, "वकीलों को सिर्फ कानून की बात करनी चाहिए, प्रॉपर्टी डीलिंग में क्या काम?" वहीं, कुछ अन्य लोगों का मानना है कि यह आदेश वकीलों की आजीविका पर असर डाल सकता है, खासकर उन लोगों पर जो छोटे स्तर पर संपत्ति से जुड़े वैध काम करते हैं।
आगे क्या होगा?
हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया है कि वह इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करे और वकीलों को नियमों की जानकारी दे। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई वकील इस आदेश का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यह फैसला न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में वकालत पेशे से जुड़े लोगों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
निष्कर्ष
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला वकालत पेशे की गरिमा और नैतिकता को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आदेश वकीलों को संपत्ति सौदों से रोकता है और बार काउंसिल के नियमों का पालन सुनिश्चित करता है। इस फैसले से वकालत पेशे में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है।
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