कुमारगंज : पशुओं से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों से बचाव को लेकर विश्वविद्यालय ने चलाया जागरूकता अभियान #6 *DD*
सारांश:
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के पशु लोक स्वास्थ्य विभाग ने विश्व जूनोसिस दिवस पर मरूई गणेशपुर स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। डॉ नमिता जोशी ने रेबीज, ब्रुसेलोसिस व बर्ड फ्लू जैसी बीमारियों से बचने के लिए पशुओं का टीकाकरण, दस्ताने पहनने व सफाई की सलाह दी।
पशुओं से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों पर चिंता
कुमारगंज स्थित मरूई गणेशपुर जूनियर हाई स्कूल के प्रांगण में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के पशु लोक स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा अभियान चलाया। विश्व जूनोसिस दिवस के मौके पर कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को पशुओं से फैलने वाली घातक बीमारियों के बारे में जानकारी दी गई।
क्या हैं जूनोटिक रोग?
विभागाध्यक्ष डॉ नमिता जोशी ने बताया कि पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों को "जूनोटिक रोग" कहते हैं। ये तीन तरीकों से फैल सकते हैं:
- पागल कुत्ते/बिल्ली के काटने से रेबीज (वायरल बीमारी)।
- दूषित दूध, मांस या पशु उत्पादों से ब्रुसेलोसिस (बैक्टीरियल बीमारी)।
- संक्रमित पक्षियों से एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू)।
बचाव के ये हैं तरीके!
डॉ जोशी ने ग्रामीणों को स्पष्ट सलाह दी:
- पशुओं को संभालते समय हमेशा दस्ताने पहनें।
- उनके मल-मूत्र या लार के सीधे संपर्क से बचें।
- पशुओं का नियमित टीकाकरण ज़रूर करवाएँ।
- दूध व मांस को अच्छी तरह पकाकर ही खाएँ।
कार्यक्रम में कौन-कौन था मौजूद?
इस जागरूकता सत्र में स्कूल के छात्र-छात्राएँ, शिक्षक, ग्राम प्रधान और आसपास के गाँवों के ज़्यादातर पशुपालक शामिल हुए। डॉ जोशी ने ज़ोर देकर कहा, "साफ-सफाई और टीकाकरण से 80% बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।"
आगे क्या होगा?
विश्वविद्यालय ने ग्रामीण इलाकों में ऐसे अभियान लगातार चलाने का फैसला किया है। कुलपति डॉ सिंह का कहना है कि "पशु और मानव स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हैं। इन बीमारियों की रोकथाम गाँवों की सेहत के लिए ज़रूरी है।"
📌 अहम बात:
जूनोटिक बीमारियाँ भारत में हर साल हज़ारों लोगों की जान लेती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया की 60% उभरती बीमारियाँ पशुओं से ही फैलती हैं।
(रिपोर्ट: धर्मचंद मिश्रा
डीबीयूपी इंडिया न्यूज नेटवर्क, ब्यूरो अयोध्या)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें