अयोध्या : अवध विवि में भारतीय ज्ञान पर शिक्षा प्रबंधन की कार्यशाला, गुरुकुल पद्धति पर हुई बात #5 *WWW*
सारांश:
अयोध्या, 2 जुलाई 2025 - अवध विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने मिलकर "भारतीय ज्ञान परंपरा से शिक्षा प्रबंधन" कार्यशाला आयोजित की। प्रो. हिमांशु शेखर ने कहा: "शिक्षा से सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि पूरा व्यक्तित्व बनता है।" डॉ. अनुराग तिवारी ने नैतिकता और गुरुभक्ति को ज़रूरी बताया।
ये कार्यशाला क्यों हुई?
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस पर अवध विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंधन विभाग ने यह आयोजन किया। मकसद था - "भारतीय पुराने ज्ञान को आज की शिक्षा से कैसे जोड़ें?" इसमें शिक्षा के जानकारों और टीचर्स ने हिस्सा लिया।
पहले सत्र में क्या हुआ?
डॉ. गीतिका श्रीवास्तव (भौतिकी विभाग) ने इसकी अगुवाई की। उन्होंने भारतीय ज्ञान की वैज्ञानिक नज़रिए पर बात की। विभाग प्रमुख प्रो. हिमांशु शेखर ने साफ किया:
"शिक्षा का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि इंसान को पूरी तरह विकसित करना है। यही हमारी पुरानी परंपरा की खासियत थी।"
डॉ. अनुराग तिवारी ने आखिर में कहा:
"हमारे ज्ञान में प्रबंधन ईमानदारी, अनुशासन और गुरु का सम्मान देता था। आज की पढ़ाई में इसे वापस लाना ज़रूरी है।"
दूसरे सत्र में किन बातों पर चर्चा हुई?
इसमें डॉ. प्रवीण राय, डॉ. आशुतोष पाण्डेय, डॉ. रामजीत सिंह यादव, डॉ. राकेश कुमार और डॉ. सूरज सिंह ने अपनी राय रखी। मुख्य बिंदु थे:
- गुरुकुल पद्धति को आज के स्कूलों में कैसे अपनाएं
- पंचकोश विकास - शरीर, दिमाग, ज्ञान, आत्मा और भावनाओं का संतुलन
- अच्छे संस्कारों वाली शिक्षा की अहमियत
- भारत के हिसाब से शिक्षा प्रबंधन का अपना तरीका
आखिर में क्या हुआ?
डॉ. अनुराग तिवारी ने सबका शुक्रिया करते हुए कहा:
"ऐसे कार्यक्रम न सिर्फ हमें आगे बढ़ाते हैं, बल्कि हमारी जड़ों से भी जोड़ते हैं।"
यह कार्यशाला भारतीय शिक्षा के पुराने तरीकों को आज के ज़माने में कामयाब बनाने पर एक अच्छी बहस साबित हुई। सभी वक्ताओं, आयोजकों और हिस्सा लेने वालों का आभार जताया गया।
रिपोर्ट: डीबीयूपी इंडिया न्यूज नेटवर्क, अयोध्या
दिनांक: 2 जुलाई 2025
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें