अयोध्या : लोहिया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रतिभा गोयल ने दिया इस्तीफा, डॉ. विजेंद्र सिंह बने कार्यवाहक #4 *OWP*
सारांश:
अयोध्या स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वीकार किया। डॉ. विजेंद्र सिंह (कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज) को 6 महीने के लिए कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया गया। अब वे दोनों विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी संभालेंगे।
कुलपति प्रतिभा गोयल ने दिया इस्तीफा
डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे को विश्वविद्यालय की कुलाधिपति और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वीकार कर लिया। प्रो. गोयल का कार्यकाल पिछले कुछ समय से चर्चाओं में था, हालाँकि इस्तीफे के आधिकारिक कारणों का अभी खुलासा नहीं हुआ है।
डॉ. विजेंद्र सिंह बने नए कार्यवाहक कुलपति
प्रो. गोयल के इस्तीफे के बाद अब विश्वविद्यालय की कमान डॉ. विजेंद्र सिंह को सौंपी गई है। डॉ. सिंह वर्तमान में नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज के कुलपति हैं। उन्हें 6 महीने की अवधि के लिए या अगले आदेश तक लोहिया विश्वविद्यालय का कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया गया है। राज्यपाल द्वारा यह निर्णय प्रशासनिक निरंतरता बनाए रखने के लिए लिया गया है।
इस्तीफे के पीछे क्या हैं कारण?
सूत्रों के मुताबिक, प्रो. प्रतिभा गोयल ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है। हालाँकि विश्वविद्यालय प्रशासन या राज्यपाल कार्यालय ने अभी तक इसकी कोई आधिकारिक वजह सार्वजनिक नहीं की है। प्रो. गोयल का कार्यकाल कुछ विवादों में घिरा रहा, जिसके चलते उनका यह कदम चौंकाने वाला नहीं माना जा रहा।
डॉ. विजेंद्र सिंह का अनुभव और चुनौतियाँ
डॉ. विजेंद्र सिंह कृषि शिक्षा के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं और उनके नेतृत्व में कुमारगंज कृषि विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय प्रगति की है। अब उनके सामने दो बड़ी चुनौतियाँ हैं:
- लोहिया विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और प्रशासनिक स्थिरता लौटाना।
- एक साथ दो संस्थानों की जिम्मेदारी संभालते हुए संतुलन बनाए रखना।
विश्वविद्यालय में छात्र-शिक्षकों की प्रतिक्रिया
इस बदलाव ने विश्वविद्यालय प्रशासन में हलचल मचा दी है। जहाँ कुछ छात्र और शिक्षक डॉ. सिंह के अनुभव को लेकर आशान्वित हैं, वहीं कुछ को संदेह है कि वह दोनों संस्थानों पर समान ध्यान दे पाएँगे। आने वाले दिनों में यह देखना जरूरी होगा कि नई व्यवस्था छात्र हितों और शैक्षणिक गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करती है।
आगे की राह
डॉ. सिंह ने अभी तक अपनी नियुक्ति पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि वे जल्द ही छात्रों और कर्मचारियों के साथ बैठक कर नई योजनाओं पर चर्चा शुरू करेंगे। राज्यपाल के आदेश के मुताबिक, यह व्यवस्था अगले 6 महीने या फिर नए स्थायी कुलपति की नियुक्ति तक जारी रहेगी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें