अयोध्या : पिठला-सिधौना में बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम, विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को समझाई जरूरी बातें #4 *KJW*
सारांश:
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय ने विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर ग्राम पिठला व सिधौना में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह के निर्देशन में हुए कार्यक्रम में डा. साधना सिंह, डा. एस.पी. मौर्य, डा. सरिता श्रीवास्तव समेत विशेषज्ञों ने बाल श्रम के दुष्प्रभाव, कानूनी अधिकार, शिक्षा की भूमिका और चाइल्ड हेल्पलाइन जैसे मुद्दों पर चर्चा की। अंत में सभी ने बाल श्रम विरोध की शपथ ली।
कार्यक्रम का मकसद क्या था?
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय ने विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (12 जून) के मौके पर ग्राम पिठला और सिधौना में एक खास जागरूकता अभियान चलाया। कुलपति कर्नल डा. बिजेंद्र सिंह के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को बच्चों के अधिकारों, शोषण से मुक्ति और बाल श्रम की रोकथाम के बारे में जानकारी देना था।
उद्घाटन और मुख्य बातें क्या रहीं?
कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. साधना सिंह ने दीप प्रज्वलन कर की। उन्होंने बाल श्रम से होने वाली सामाजिक, आर्थिक और मानसिक क्षति को विस्तार से समझाते हुए कहा, "इस समस्या से लड़ने के लिए पूरे समाज को एकजुट होकर काम करना होगा।" डा. एस.पी. मौर्य ने भारत में बाल श्रम की वर्तमान स्थिति और चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए, जबकि डा. सरिता श्रीवास्तव ने बाल सुरक्षा से जुड़े कानूनों व नीतियों की जानकारी दी।
शिक्षा और समुदाय की भूमिका पर क्या जोर दिया गया?
डा. रागिनी मिश्रा ने बच्चों की शिक्षा को शोषण के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बताया। उन्होंने कहा, "पढ़ाई बच्चों को आत्मनिर्भर बनाती है और उन्हें गलत रास्तों से बचाती है।" डा. प्राची शुक्ला ने समुदाय व स्कूलों की जिम्मेदारी पर रोशनी डाली, तो डा. श्वेता सचान ने चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) और शोषण की घटनाओं की रिपोर्टिंग प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
किन विषयों पर हुई गहन चर्चा?
मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कई अहम मुद्दों पर विशेषज्ञों ने बात रखी:
- बाल श्रम के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय आंकड़े और भारत में बच्चों की हकीकत।
- शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून और उसका क्रियान्वयन।
- बाल सुरक्षा कानूनों का सही इस्तेमाल कैसे करें?
- चाइल्ड लाइन सेवाओं, पीड़ित बच्चों के पुनर्वास और केस स्टडीज़ के उदाहरण।
समापन कैसे हुआ?
सभी प्रतिभागियों और आयोजकों ने मिलकर "बाल श्रम का विरोध करें" की शपथ ली। डा. रागिनी मिश्रा ने मौजूद अतिथियों का आभार जताया। इस दौरान डा. मीनल, शोधार्थी ऋतिका पांडे, अराध्या, प्रियंका चौहान और अभिषेक मीणा भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संदेश स्पष्ट था: "बच्चों का भविष्य बचाने के लिए जागरूकता और सामूहिक कार्रवाई जरूरी है।"
स्रोत: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा जारी आधिकारिक जानकारी।
संवाददाता : धर्मचंद मिश्रा, कुमारगंज
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